Sitapur News : गुलरहिया गांव के 25 लोगों को बेघर होने का डर सता रहा है, यह सभी लोग आजादी के पहले से इनके पूर्वज मकान बनाकर रहते हैं। जिस जमीन पर इन ग्रामीणों के आशियाने बने हुए हैं उसे वन विभाग ने अपनी बताकर ग्रामीणों को नोटिस भेजते हुए विभागीय केस भी दर्ज कर लिया है। इस सम्बंध में पीड़ित ग्रामीणों ने कारागार राज्यमंत्री व अधिकारियों को पत्र लिखकर इंसाफ की मांग की है।
गौरतलब है कि कार्टरगंज ग्रामसभा के मजरा गुलरहिया गांव के दो दर्जन से अधिक ग्रामीण गांव के दक्षिण पूरब हिस्से में मकान बनाकर रहते हैं। बताते हैं कि आजादी के पूर्व से इनके पूर्वजों ने कच्चे मकान बनाए थे। इस जमीन को वन विभाग ने अपनी बताते हुए 25 ग्रामीणों से भूमि खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। विभाग का तर्क है कि पैमाइश के बाद पता चला कि वन विभाग की जमीन पर ग्रामीण मकान बनाकर रह रहे हैं।
नोटिस जारी करने के बाद विभाग ने 25 ग्रामीणों के विरुद्ध विभागीय केस दर्ज भी कर लिया था। इसके बाद भी तीन ग्रामीणों ने मकान नए सिरे से बनाने की कोशिश की तो वन विभाग ने गुलरहिया के बराती व मंुशी पुत्रगण चेतराम तथा ओमकार पुत्र चंद्रिका के विरुद्ध जमीन पर अवैध कब्जा करने का पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि वह पिछले कई दशक से इस जमीन पर रह रहे हैं और वन विभाग उन्हें बेघर करने पर तुला हुआ है। ग्रामीणों की माने तो अब तक वह शायद ही कोई ऐसा अधिकारी व जनप्रतिनिधि हो जिसके सामने इंसाफ के लिए हाथ न फैलाए हों, मगर अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकी है। इस सम्बंध में वन क्षेत्राधिकारी कल्पेश्वर नाथ ने बताया कि वन विभाग की जमीन पर ग्रामीण काबिज हैं जिसे खाली कराने की कार्रवाई चल रही है।
राज्यमंत्री ने मंडलायुक्त को लिखा पत्र
कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही ने ग्रामीणों की फरियाद पर आयुक्त लखनऊ मंडल को पत्र लिखा था। जिसमेें उन्होंने प्रेमशंकर, विनोद कुमार, कृष्णा, हरनेश व अनुज समेत 25 ग्रामीणों द्वारा उनको मिले प्रार्थना पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि यह लोग अपने पूर्वजों द्वारा आजादी के पूर्व से बनाए गए मकानों में रहते चले आ रहे हैं।
जिस जमीन पर यह लोग निवास कर रहे हैं वह वन विभाग की बताई जा रही है। वन विभाग इस जमीन को खाली कराने की कार्रवाई कर रहा है। यह लोग गरीब हैं और इस आवासीय जमीन के अलावा इनके पास कोई भूमि नहीं है। राज्यमंत्री ने मंडलायुक्त से कहा है कि यदि ग्रामीण वन विभाग की जमीन पर काबिज हैं तो इन्हें विस्थापित करने से पहले आवासीय भूमि आवंटित करके मकान बनाने तक का समय दें।